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घर का बँटवार हो रहा था. दीवारें उठ गयीं बीचोबीच. बस आँगन में लगे आम के पेड़ का बंटवारा नहीं हो सका. पेड़ बड़े भाई के घर के आँगन में पड़ा. डालियाँ घर के दीवार के बहार भी जाती थी रोड के तरफ.
छोटे भाई की बीवी के मन में कसक रह गयी के उसने उस पेड़ से ज्यादा आम नहीं खाए थे, क्यूंकि वोह बाद में घर में आयी थी. बड़े के बीवी घर पाकर उतनी खुश नहीं हुई जितना आम के पेड़ पर कब्ज़ा पाकर. आम तो लदे हुए थे पुरे. तीखा खाने के जैसा मन को संतुष्टि हुई.
छोटे भाई का बेटा बबलू बाहर खेलने निकला तो उसकी बराबर की पार्टनर पिंकी वहीँ मिली. दोनों खेलने लगे. पिंकी बड़े भाई की बेटी है और बबलू से बड़ी है. लेकिन एक साथ रहते बराबर.
तभी हवा से एक पका आम गिरा. पिंकी ने झट उठाया लेकिन बबलू ने छीन लिया. पिंकी रोई. माँ ने सुना जो आँगन में थी. उसने आते ही, मन में गुस्सा तो था ही कसकर 2 – 3 तमाचे बबलू को जड़ दिए. पिंकी ऐसा देख डर गयी. छोटे भाई की बीवी ने पति को आवाज़ लगाई के चुड़ैल ने हमारे बच्चे को मार दिया जल्दी आइये. पत्नी ने बड़ी को पीटना चालू किया.
बड़ा भाई खबर पाकर पागल होता हुआ , आते आते डंडा उठा लाया. बात बढ़ गयी. गाली गलोज चालु हो गया.
यह आम हमारे पेड़ का है यह क्यों खायेगा (बड़ी ने कहा). यह पेड़ मेरे बाप ने लगाया है तुम्हारे बाप ने नहीं (छोटे ने जवाब दिया).
आम लेकर बबलू अभी भी काँप रहा था. बड़ी ने एक डंडा हाथ पर दिया, आम छिटक कर दूर जा गिरा. इतना देख दोनों भाइयों में जमकर मारपीट चालु हो गया. छोटे को किसी तरह से छोटी ने लाठी थमा दिया. एक लाठी बड़े के सिर पर और बड़ा बिना हिले पलभर में कटे पेड़ की तरह ज़मीन पर गिर पड़ा. अजीब तरह का फटा सर देख कर बड़ी होश खो बैठी. सभी सरपट भागे पिंकी को छोड़कर.
बड़ी को जब होश आया तो उसके होश उड़ गए. उसकी दुनिया तो पूरी ख़तम हो चुकी थी. पुलिस आयी छोटे को ले गयी. उसे काफी लम्बी सजा हुई. पुलिस की मार से ठीक से चल भी नहीं पाता है, हालाँकि अभी भी जेल में ही है.
क्या वास्तव में आम कारण ही झगड़े होते हैं? वोह तो मीठास देकर मिट जाने के लिए पैदा हुआ है और होता रहेगा. लेकिन क्या हम, मानव कहे जाने वाले जंतु अपने कर्तव्यों को पूरा कर रहे हैं?, अपने गुणों को लेकर चल रहे हैं? क्या हम लालच, घृणा, ईर्ष्या, भेद और अहंकार जैसे बुराइयों में छुप नहीं गए? क्या हम मानव हो कर मानव के लक्षण रखे हुए हैं? क्या हम मीठास को समझ सकेंगे?
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